रामायण और कृष्णा से भारतीय टेलीविजन को ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले रामानंद सागर
रामानंद सागर भारतीय टेलीविजन का एक ऐसा नाम है, जिसका उल्लेख करते ही हमारे मन में ‘रामायण’ और कृष्णा’ जैसी महाकाव्य श्रृंखलाएं उभर आती हैं। इन श्रृंखलाओं के माध्यम से उन्होंने न केवल भारतीय टेलीविजन को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया, बल्कि लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों में भी अपनी एक खास जगह बनाई।
*उतार चढ़ाव से भरा रहा उनका जीवन
रामानंद सागर का जन्म 29 दिसम्बर 1917 में लाहौर के नजदीक असल गुरु नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने पढ़ाई जारी रखने के लिए ट्रक क्लीनर और चपरासी की नौकरी की। दिन में वे काम किया करते थे और रात को पढ़ाई। मेधावी होने के कारण उन्हें पाकिस्तान के पंजाब विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक मिला और फारसी भाषा में निपुणता के लिए उन्हें मुंशी फज़ल के खिताब से नवाजा गया। इसके बाद रामानंद सागर एक पत्रकार बन गए और जल्द ही वह एक अखबार में समाचार संपादक के पद तक पहुंच गए। बंटवारे के समय वे भारत आ गए, उस समय उनके पास महज पांच आने थे। भारत आकर वह फिल्म क्षेत्र से जुड़े और 1950 में खुद की प्रोडक्शन कंपनी सागर आर्ट्स की शुरुआत की जिसकी पहली फिल्म मेहमान थी। वर्ष 1985 में वह छोटे परदे की दुनिया में उतर गए। उनके द्वारा निर्मित सर्वाधिक लोकप्रिय धारावाहिक रामायण ने लोगों के दिलों में उनकी छवि एक आदर्श व्यक्ति के रूप में बना दी यहां तक कि लोग उन्हें तुलसी जी का अवतार भी मानने लगे ।
उन्होंने फिल्मों तथा कई टेलिविजन शोज और धारावाहिकों का निर्देशन और निर्माण किया। उनके द्वारा बनाए गए प्रसिद्ध टीवी धारावाहिकों में विक्रम और बेताल, दादा-दादी की कहानियां, रामायण, कृष्णा , अलिफ लैला और जय गंगा मैया, आदि बेहद लोकप्रिए धारावाहिक शामिल है।
‘रामायण’ और कृष्णा’ ने भारतीय टेलीविजन पर एक क्रांति ला दी। इन श्रृंखलाओं ने भारतीय संस्कृति और इतिहास को लाखों लोगों तक पहुंचाया। इनमें इस्तेमाल किए गए सेट, वेशभूषा और संगीत ने दर्शकों को पूरी तरह से इन महाकाव्यों की दुनिया में खो जाने का अनुभव कराया। इन श्रृंखलाओं के प्रसारण के समय देश का कामकाज लगभग ठप्प हो जाता था, लोग दूसरों के घरों में जाकर ये देखा करते थे।
रामानंद सागर का प्रभाव
रामानंद सागर के काम ने भारतीय टेलीविजन के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया। उनके द्वारा बनाई गई श्रृंखलाओं ने टेलीविजन को केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि शिक्षा और संस्कृति के प्रसार का भी एक महत्वपूर्ण साधन बना दिया। उनके काम ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है और भारतीय टेलीविजन के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रामानंद सागर भारतीय टेलीविजन के इतिहास में एक अमर नाम हैं। उनके द्वारा बनाई गई ‘रामायण’ और ‘कृष्णा’ जैसी श्रृंखलाएं भारतीय संस्कृति और इतिहास को लाखों लोगों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। उनकी विरासत आज भी जीवित है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।