कल टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। रतन टाटा का नाम भारत में केवल कारोबार के लिए ही नहीं, बल्कि उनके मानवीय गुणों और समाज सेवा के लिए भी जाना जाता है। उनके अनेक गुणों में से एक है उनका पशुओं के प्रति गहरा प्रेम। यह प्रेम उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है और उनके व्यक्तित्व के एक अनिवार्य हिस्से के रूप में उभरा है।
पशुओं के साथ बचपन का नाता
रतन टाटा का पशुओं के प्रति प्रेम बचपन से ही शुरू हुआ। उनके घर में अक्सर कुत्ते, बिल्लियाँ और अन्य पालतू जानवर होते थे, जिनके साथ उन्होंने समय बिताया और उनके साथ खेलना सीखा। यह बचपन का अनुभव उनके जीवन भर उनके साथ रहा और उन्हें पशुओं के प्रति सहानुभूति और सम्मान विकसित करने में मदद की।
पशु कल्याण के लिए प्रयास
रतन टाटा ने अपने जीवन में पशु कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। उन्होंने कई पशु आश्रयों और अस्पतालों का समर्थन किया है, जहां घायल, बीमार और अनाथ जानवरों की देखभाल की जाती है। उन्होंने इन संस्थानों को धन दान किया है और उन्हें आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने में मदद की है।
पशु अधिकारों के लिए आवाज उठाई
रतन टाटा ने पशु अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई है। उन्होंने अत्याचार और शोषण से पशुओं को बचाने के लिए काम किया है। उन्होंने सरकार और जनता को पशुओं के साथ मानवीय व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
पशुओं के प्रति संवेदना
रतन टाटा के पशु प्रेम का एक प्रमुख पहलू उनकी संवेदना है। उन्होंने अक्सर पशुओं के साथ दुख और खुशी साझा की है। उन्होंने पशुओं के दर्द को समझा है और उन्हें राहत देने के लिए प्रयास किए हैं। उन्होंने ताज होटल में स्ट्रीट एनिमल्स की मदद की सुविधा भी रखी है।
रतन टाटा का पशु प्रेम उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। उन्होंने पशु कल्याण और अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी कहानी हमें पशुओं के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखने के लिए प्रेरित करती है।