बांग्लादेशी सामुदायिक नेता चिन्मय कृष्ण दास क्यों हैं चर्चा में
बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का मुद्दा चर्चा में है। हिंदू संत के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक सड़कों पर उतर आए हैं। अब यह मामला भारत में भी गरमा गया है। भारत सरकार लगातार इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांग्लादेश के हालात की जानकारी दी है। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने चिन्मय कृष्ण की गिरफ्तारी पर चिंता जताई थी।
ये सब तब शुरू होता है जब बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ आन्दोलन होते है. जुलाई में हुए हिंसक आंदोलन के बाद 5 अगस्त को शेख हसीना को जबरन पद से हटने के लिए मजबूर कर दिया गया था। इसके बाद शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत आ जाती है। फिर अगले दिन साल 2006 में नोबेल का शांति पुरस्कार जीतने वाले मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार के मुखिया बने, 84 साल के यूनुस बांग्लादेश की कमान ऐसे वक्त संभाल रहे थे जब राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर थी .
देश में लूटपाट और अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ हिंसा की घटनाएं सामने आ रही थी . शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हुए आन्दोलन की आड़ में हिन्दुओ के खिलाफ भी हिंसा शुरू हो जाती है. बीते कुछ महीनों से हिंदुओं के सैकड़ों घरों, प्रतिष्ठानों और मंदिरों को तोड़ डाला गया , बांग्लादेश में हिंदुओं पर डंडे बरसाए गए , उनके घरों और दुकानों में आग लगाई गई , जिनके वीडियो वायरल हुए. बहन-बेटियों और महिलाओं के साथ अभद्रता बलात्कार हुए , लेकिन इन उपद्रवियों को रोकने वाला कोई नहीं था । यह सब सरकार और पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा था ।
इधर हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी, सरकार और पुलिस-प्रशासन एकजुट होते हुए दिख रहे हैं। हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना, हिंदुओं के घरो तो तोड़ना, हिन्दुओ को मंदिर जाने से रोकना, ये सब एक सोची समझी साजिश के तहत हो रहा था , दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथी द्वारा रैली निकाल हर हिन्दुओ को धमकाना , हिंदुओं दुर्गा पूजा मनाने से रोकना , 5 अगस्त को शेख हसीना के ढाका छोड़ने के बाद से बांग्लादेश के कुल 72 में से 62 जिलों में हिंदुओं को निशाना बनाकर 2010 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इसमें हिंदू समुदाय के घरों, पूजा स्थलों और कार्य स्थलों पर तोड़फोड़ और भीड़ द्वारा हत्या तक शामिल है।
बांग्लादेश की मौजूदा सरकार ने हिंदुओं की सुरक्षा का आश्वासन दिया
बांग्लादेश की मौजूदा सरकार ने आगामी त्योहार के दौरान पूजा पंडालों और हिंदुओं की सुरक्षा का आश्वासन दिया था , लेकिन यह सब दिखावा था। किसी भी आरोपी को न हिरासत में लिया गया था और न ही गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस से अल जजीरा द्वारा लिए गए इंटरव्यू में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के बारे में सवाल किया गया. मोहम्मद यूनुस ने उल्टा इसको भारत सरकार का प्रोपोगेंडा बता दिया।
इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास कौन
इसी बीच एक नाम निकल कर आता है इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का जो सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और चटगांव इस्कॉन के नेता हैं. 37 साल के चिन्मय कृष्ण अपने धार्मिक भाषणों के लिए जाने जाते हैं। चिन्मय कृष्ण दास इसी साल अगस्त में बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद सुर्खियों में आए थे।5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। देश में सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही बड़े पैमाने पर हिंदू घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। इसके जवाब में सनातन जागरण मंच शुरू किया गया और चिन्मय दास को इसका प्रवक्ता नियुक्त किया गया।
बांग्लादेश में फैली अशांति के बीच हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर इस मंच के द्वारा हिंदुओं की आवाज को उठाया जाता है। बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हुई हिंसा के खिलाफ एक प्रमुख आवाज बनकर उभरे चिन्मय 25 अक्टूबर, 2024 के दिन. बांग्लादेशी हिंदुओं के अधिकारों से जुड़ी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर बांग्लादेश सम्मिलितो सनातनी जागरण जोत ने चट्टगांव में एक विशाल रैली आयोजित की थी.
इसके 6 दिन बाद यानी 31 अक्टूबर को संस्था के प्रवक्ता चिन्मय दास समेत 17 अन्य हिंदू नेताओं के खिलाफ चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया गया. मामला राष्ट्रीय ध्वज के अपमान से जुड़ा था. आरोप लगा कि 25 अक्टूबर को रैली के दौरान चिन्मय दास के संगठन से जुड़े लोगों ने चटगांव के न्यूमार्केट इलाके में कथित तौर पर राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा रंग का झंडा लगाया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक, चिन्मय कृष्ण देश शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से चर्चा में आए हैं. वे इसके बाद से ही, यानी अगस्त महीने से बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकार और उन पर हो रहे हमले के खिलाफ रैलियां कर रहे हैं.
उन्होंने हाल के महीनों में हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचारों के खिलाफ दो-तीन बड़ी रैलियां की थीं. इनमें हज़ारों की संख्या में लोग शामिल हुए थे. चिन्मय कृष्ण दास को जेल भेजे जाने की खबर के सामने आने के बाद बाग्लादेश में हिंसा भड़क उठी. लोग सड़कों पर उतर आए. कई हिन्दू इसमें मारे गए पुलिस के साथ साथ इस्लामिक कट्टरपंथी भी हिंसा में उतर आये इस बीच गिरफ्तारी के बाद चिन्मय कृष्ण दास ने हिंदुओ एक साथ रहने की अपील की. ऐसी बीच कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के कार्यकर्ता लगातार इस्कॉन के खिलाफ कार्रवाई के लिए यूनुस सरकार पर दबाव बना रहे हैं। अदालत में सुनवाई के दौरान इस्कॉन को कट्टरपंथी संगठन भी बताया जा चुका है। .
कुछ समय पहले ही बांग्लादेश में बाढ़ के समय इस्कॉन और चिन्मय दास द्वारा वह के लोगो को भोजन और कपड़े उपलब्ध करवाए गए और अब गुरुवार को बांग्लादेश सरकार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब ढाका उच्च न्यायालय ने इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया।
बुधवार को दाखिल एक याचिका में उच्च न्यायालय के वकील मोहम्मद मोनिरउद्दीन ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।