भारत के इतिहास में एक ऐसा समय आया था जब देश के पड़ोसी पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए। इन टुकड़ों में से एक बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है। इस विभाजन में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। उन्होंने बांग्लादेश के जन्म में योगदान दिया था।
बांग्लादेश आंदोलन
पाकिस्तान के विभाजन के समय ही पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक असमानताएं मौजूद थीं। पूर्वी पाकिस्तान के लोग पश्चिमी पाकिस्तान के राजनीतिक और आर्थिक नियंत्रण से असंतुष्ट थे। वे अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे थे।
1970 के आम चुनावों में, पूर्वी पाकिस्तान की अवामी लीग ने बहुमत प्राप्त किया। लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान के राजनीतिक दलों ने अवामी लीग की सरकार बनाने से इनकार कर दिया। इससे पूर्वी पाकिस्तान में असंतोष और विरोध बढ़ गया।
क्या थी इंदिरा गांधी की भूमिका
तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश आंदोलन की शुरुआत से ही भारत की भूमिका महत्वपूर्ण राखी। उन्होंने बांग्लादेशी लोगों के संघर्ष का समर्थन किया और पाकिस्तानी सरकार के अत्याचारों की निंदा की।
1971 में, जब पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचार शुरू किया, तो लाखों बांग्लादेशी शरणार्थी भारत में आ गए। भारत सरकार ने इन शरणार्थियों को आश्रय प्रदान किया और उनकी मानवीय जरूरतों को पूरा किया।
इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर बांग्लादेश के मुद्दे को उठाया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बांग्लादेश के पक्ष में मतदान करने के लिए अन्य देशों को प्रोत्साहित किया था।
भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश का जन्म
पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों और भारत की बढ़ती सहायता से बांग्लादेशी आंदोलन तीव्र हो गया। परिणामस्वरूप, 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में भारत ने बांग्लादेशी मुक्ति सेना का समर्थन किया।
16 दिसंबर 1971 को पश्चिमी पाकिस्तान में सरकारी सैनिकों और लगभग 90,000 नागरिकों ने पूर्वी पाकिस्तान में भारतीय सैनिकों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। 17 दिसंबर 1971 को, अंततः पूर्वी पाकिस्तान को आज़ादी मिली और बांग्लादेश के रूप में एक नया स्वतंत्र राज्य बना।
इंदिरा गांधी की भूमिका बांग्लादेश के जन्म में अहम थी। उन्होंने बांग्लादेशी लोगों के संघर्ष का समर्थन किया, भारत की सीमाओं की रक्षा की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश के मुद्दे को उठाया। उनकी नीतियों और निर्णयों ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इंदिरा गांधी की विरासत आज भी जीवंत है। बांग्लादेश के लोग उन्हें एक महान नेता के रूप में याद करते हैं, जिन्होंने उनके देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। उनकी भूमिका भारत-बांग्लादेश संबंधों को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण रही है।