इंडिया के लिए बेहद गर्व का पल है। भारत ने ना सिर्फ 36 सैटेलाइट लॉंच की साथ ही 1000 करोड़ रूपये की पेमेंट भी गैरेंटी कर दी है। साथ ही अमेरिका और यूरोप के लिए रूस को भी रिप्लेस कर दिया है। रूस विश्व के लिए एक काफी महत्वपूर्ण सेटेलाइट प्रोवाइडर रहा है,यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते रूस को हर क्षेत्र में नाराज़गी का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि एलवीएम3-एम3/वनवेब इंडिया-2 मिशन के तहत 36 सैटेलाइट्स को उनकी तय कक्षा में स्थापित कर दिया गया है. जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा में तैनात किया गया है। व्यावसायिक लॉन्च की सफलता इसरो को अपने सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की कोशिश कर रही कंपनियों के लिए एक viable service provider के रूप में स्थापित करेगा। ब्रिटेन की नेटवर्क एक्सेस एसोसिएट्स लिमिटेड वनवेब ग्रुप कंपनी एक वैश्विक संचार नेटवर्क है, जो सरकारों और कंपनियों के लिए कनेक्टिविटी को सक्षम बनाता है। 2022 में वनवेब कंपनी ने इसरो को 72 सैटेलाइट बनाने का कॉंट्रेक्ट दिया था, ये कॉन्टेरैक्ट 1000 करोड़ रूपये का है। जिसमें से इसरो ने पहले 36 और अभी 36 सैटेलाइट्स लॉंच की। वनवेब में मेन इंवेस्टर्स ब्रिटेन सरकार, जपान का सॉफ्ट बैंक और कई एशियन कंपनिया है मगर इन सब में सबसे ज्यादा स्टेक भारत की भारतीय इंटरप्राइजेज का है जो ऐयरटेल के ओनर हैं। भारतीय इंटरप्राइजेज का उद्देश्य स्पेस में सैटेलाइट्स लॉन्च कर इलॉन मस्क की स्टारलिंक को टक्कर देना है। स्टारलिंक सैटेलाइट के ज़रिए यूजर्स को इंटरनेट की सुविधा देने का दावा करता है। और इसकी मोनोपॉली को तोड़ने की कोशिश वनवेब कर रहा है। बता दें कि वनवेब की ज्यादातर सैटेलाइट रशिया लॉन्च करता था। मगर यूक्रेन वॉर के बाद रशिया पर लगे सैंकशन की वजह से रशिया ने वनवेब को 230 मिलियन डॉलर का झटका दिया. रूस ने वनवेब से सैटेलाइट लॉन्च के लिए 1000 करोड़ रूपये लेने के बावजूद सैटेलाइट्स नहीं सौंपी। इस धोके के बाद वनवेब ने भारत पर अपना पूरा भरोसा रखा है। इस भरोसे से भारत के लिए भविष्य में कई अवसर सामने आएंगे। इन अवसरों में भारतीय प्राईवेट स्पेस एजेंसियां इसरो की मदद भी कर सकती हैं।
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