जिसका ना आदि ना अंत है, वो महादेव भोला अनंत है. गले में सर्प, हाथ में त्रिशूल, जटाओं में गंगा को समेटे वो कैलाश पर विराजमान है. आज महाशिवरात्री यानी शिव की रात है. आज के दिन पूजन करने मात्र से मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है. हम सभी प्रभू शिव शंभू से जुड़ी हर बात जानने के लिए उत्सुक रहते हैं. तो चलिए आज हम आपको शिव के धाम, कैलाश के कुछ रहस्यों से रूबरू कराने लेकर चलते हैं.
कैलाश पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से 6600 मीटर से अधिक है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट से लगभग 2200 मीटर कम है. इसके बाद भी माउंट एवेरेस्ट पर अब तक 7 हजार से अधिक बार चढाई कर चुके हैं लेकिन कैलाश पर्वत पर अब भी कोई व्यक्ति नहीं चढ़ पाया है. यह आज भी अजेय है. एक बार एक अमेरिकी साइंटिस्ट ने इसपर चढ़ने का प्रयास किया लेकिन कैलाश के पास जाते ही उसकी दिल की धड़कन बढ़ने लगी और उसका बीपी शूट हुआ जिसके बाद वो वापस लौट गया. ऐसे कई पर्वतारोही भी रहे जिन्होंने कैलाश पर चढ़ने की कोशिश की पर वो नाकाम रहे.
कैलाश पर्वत की चोटियों पर दो झीलें हैं पहली मानसरोवर झील जो दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित शुद्ध पानी की सबसे बड़ी झील है. और इसका आकार सूर्य के समान है और दूसरी राक्षस झील जो दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की सबसे बड़ी झील है, और इसका आकार चन्द्रमा के समान है. यह दोनों झीलें यहां कैसे बनी इसको लेकर वैज्ञानिक आज भी शोध कर रहें हैं. कहा जाता है कि तारे मानसरोवर में हर रात डुबकियां लगाते हैं.
हमारी पृथ्वी के एक तरफ उत्तरी ध्रुव है दूसरी तरफ दक्षिणी ध्रुव. और इन दोनों ध्रुवों के बीच में है हिमालय और हिमालय का केंद्र है कैलाश पर्वत. इस बात को वैज्ञानिक भी प्रमाणित कर चुके हैं कि कैलाश धरती का केंद्र बिंदु है.
आपको बता दें कि कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के पास जाने वाले लोगों को निरंतर यहां एक ध्वनि सुनाई देती है जिसे ध्यान से सुनने में आवाज डमरू या ॐ की आती है.
ऐसे ही कई रहस्यों से भरा है भोलेनाथ का धाम कैलाश जिसे ना कोई भांप पाया ना समझ पाया.
#mahashivratri2023 #mahadev #mountkailash #india #कैलाशपर्वत #mansarovar #lordshiva #god #hindugod #mounteverest #shivgiri #mountainclimbing #mountkailashclimbing #bholenath